
पटना: 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी जिले में आयोजित राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम में भाग लिया जहां उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया। 1300 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। पहलगाम की घटना के बाद प्रधानमन्त्री मोदी के इस दौरे पे कई सवाल भी उठे। लेकिन प्रधानमंत्री के इस दौरे का विरोध बिहार के कई जिलों में हुआ जो खबरों से गायब रहा। सभी जगहों पर शांतिपूर्वक धरना दिया गया और प्रधानमन्त्री मोदी का विरोध आशा कार्यकर्त्ताओं ने किया, स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्य बहिष्कार भी कार्यकर्त्ताओं ने किया। लेकिन यह विरोध प्रधानमन्त्री के घोषणाओं के शोर में मीडिया ने दबा दिया।
क्यों कर रही थीं विरोध?
बिहार में आशा कार्यकर्ताओं को पिछले छः महीने से पैसे नहीं मिले हैं. बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाले पैसों को प्रोत्साहरन राशि कहते हैं। जिसका 40% हिस्सा बिहार सरकार देती है और 60% हिस्सा केंद्र सरकार देती है। केंद्र सरकार के पैसे नहीं देने से आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान पिछले 6 महीने से नहीं हो पाया है।इसी को ले कर बिहार भर में आशा प्रधानमन्त्री मोदी के मधुबनी दौरे का विरोध शांतिपूर्वक तरीके से सभी प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों पर किया। लेकिन यह सवाल और इतने बड़े विरोध की खबर किसी चैनल ने प्रमुखता से नहीं दिखाया
स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की महासचिव और भाकपा माले एमएलसी शशि यादव न्यूज़इंक को दिए इन्टरव्यू में कहती हैं कि पिछले 6 महीने से आशा कार्यकर्ताओं को पैसे नहीं मिले हैं। होली और ईद जैसे त्योहार में भी आशा कार्यकर्ताओं को पैसे नहीं दिए गए। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता यह नारा लगा रही हैं पीएम सीएम झूठे हैं हमारे बच्चे भूखे हैं।
आशा कार्यकर्ता देवंती देवी कहती हैं कि हमे 6 महीने से हमलोग को पैसे नहीं मिले हैं। क्या हमारे बाल बच्चे नहीं हैं? हमलोगों को त्योहार में भी पैसा नहीं मिला । धरना प्रदर्शन करने पर उल्टा धमकी मिलता है।
सविता कुमारी कहती हैं प्रधानमंत्री बिहार आए हैं , करोड़ो की सौगात देने। लेकीन हमलोगों का वेतन उनके वजह से ही रुका हुआ है। हमलोग ईमानदारी से काम करते हैं। रात दिन लगे रहते हैं उसके बाद भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिल रहा है। इस बार के चुनाव में हमलोग सबक सिखाएंगे।