बिहार में नीतीश को ले कर एनडीए में सस्पेंस,भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का बड़ा बयान

पिछले कुछ दिनों से यह सवाल चर्चा में है कि क्या नीतीश कुमार की जगह अगला मुख्यमंत्री चेहरा इनके बेटे निशांत कुमार होंगे। बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने हाल ही में एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बारे में निर्णय बाद में लिया जाएगा, और यह बयान इस सवाल को और गरम कर गया है।

नीतीश कुमार पर सवाल

नीतीश कुमार, जो पहले से ही बिहार के मुख्यमंत्री हैं, पिछले कुछ समय से अपनी नेतृत्व क्षमता को लेकर सवालों का सामना कर रहे हैं। खासकर जब से बिहार में बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, तब से यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या नीतीश कुमार की जगह कोई और मुख्यमंत्री बनेगा? बीजेपी के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा, लेकिन यह बयान इस बात को लेकर कई तरह के कयास लगाने का कारण बना है।

बीजेपी का ‘महाराष्ट्र फॉर्मूला’ और बिहार में असर

बीजेपी का ‘महाराष्ट्र फॉर्मूला’ भी अब बिहार में चर्चा का विषय बन गया है। महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिवसेना से गठबंधन तो किया था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों में टकराव था। बिहार में भी कुछ ऐसा ही सियासी माहौल बनता दिखाई दे रहा है, जहां बीजेपी और जेडीयू के बीच नेतृत्व को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। बीजेपी अपने दल के लिए मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोक सकती है, जिससे जेडीयू को चुनौती मिल सकती है।बिहार में जातीय गणित और क्षेत्रीय संतुलन भी 2025 के चुनावों में अहम भूमिका निभाएंगे। बीजेपी अपनी जातीय राजनीति के जरिए वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है, और इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है। नीतीश कुमार ने पिछले कुछ महीनों में बिहार के कैबिनेट विस्तार को लेकर कई कदम उठाए हैं, और अब इसमें बीजेपी के 21 मंत्री शामिल हैं। लेकिन इस विस्तार में नीतीश कुमार के कार्यकाल को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। क्या बीजेपी की बढ़ती ताकत को देखते हुए नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया जाएगा या फिर कोई और नेता इस पद पर काबिज होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।इस कैबिनेट विस्तार में जाति समीकरण का भी ध्यान रखा गया है। सात नए मंत्रियों का चयन किया गया है, जो राज्य में जातीय संतुलन को साधने का प्रयास कर रहे हैं। इसने भी राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है, क्योंकि हर पार्टी और नेता अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए नए कदम उठा रहे हैं।इस सबके बीच, बिहार की सियासत में बहुत कुछ बदलने वाला है, और अब देखना यह होगा कि चुनावों के बाद किस दल और नेता का वर्चस्व रहेगा और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है।

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