महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई ? किसने किया शुरु ?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च)

हर साल महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने और लैंगिक समानता की वकालत करने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई, जब महिलाओं ने समान अधिकार, उचित वेतन और मतदान के अधिकार की मांग उठाई।

पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी 1909 को अमेरिका में समाजवादी पार्टी द्वारा मनाया गया था। इससे प्रेरित होकर, जर्मन कार्यकर्ता क्लारा जेटकिन ने 1910 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में एक वैश्विक महिला दिवस का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया, और 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। महिला दिवस को विशेष मान्यता तब मिली जब 8 मार्च 1917 को रूस की महिलाओं ने “रोटी और शांति” की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे रूसी क्रांति को बढ़ावा मिला। इस घटना के बाद, सोवियत संघ ने 8 मार्च को आधिकारिक महिला दिवस घोषित किया, और संयुक्त राष्ट्र ने 1977 में इसे वैश्विक रूप से मान्यता दी।

क्लारा जेटकिन ( तस्वीर :गूगल)

आज के दौर में महिला दिवस का महत्व

आज, महिला दिवस दुनिया भर में राजनीति, व्यापार, विज्ञान, कला और समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को पहचानने के लिए मनाया जाता है। यह दिन लैंगिक भेदभाव, असमान वेतन और हिंसा जैसी समस्याओं पर चर्चा करने का भी अवसर प्रदान करता है।

हाल के वर्षों में, “लैंगिक समानता आज, बेहतर कल के लिए”और “चुनौती स्वीकार करें” जैसे विषयों के साथ महिला अधिकारों पर वैश्विक बातचीत को बढ़ावा दिया गया है। इस दिन रैलियों, पैनल चर्चाओं और महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

महिला सशक्तिकरण और समानता की ओर बढ़ते कदम

हालांकि समय के साथ महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। महिला दिवस केवल जश्न का दिन नहीं, बल्कि बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर भी है। आज भी वेतन में असमानता, कार्यस्थलों पर भेदभाव और नेतृत्व में महिलाओं की कम भागीदारी जैसी समस्याएँ मौजूद हैं।

इसके समाधान के लिए शिक्षा, कानूनी अधिकारों और आर्थिक अवसरों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है। सरकारों, व्यवसायों और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लैंगिक समानता केवल एक दिन की चर्चा तक सीमित न रहे, बल्कि यह निरंतर प्रयास का हिस्सा बने।

महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद है। यह आर्थिक विकास, सामाजिक स्थिरता और एक उज्जवल भविष्य* का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए, इस महिला दिवस पर, हम सभी यह संकल्प लें कि हर लड़की और महिला को अपने सपने पूरे करने का समान अवसर मिले, बिना किसी भेदभाव या बाधा के।

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