वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024: क्या बदलाव होंगे और क्यों हो रहा है विरोध?
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक बड़ा मुद्दा रहा है। इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 लाया गया है। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और अब इसे राज्यसभा में पेश किया गया है। लेकिन इस पर काफी विवाद भी हो रहा है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
विधेयक में क्या बदलाव किए गए हैं?
1. वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे
पहले केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में केवल मुस्लिम सदस्य होते थे, लेकिन अब इसमें गैर-मुस्लिमों को भी शामिल किया जाएगा।
– केंद्रीय वक्फ परिषद: इसमें कुल 22 सदस्य होते हैं। नए विधेयक के अनुसार, इनमें से 12 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
– राज्य वक्फ बोर्ड: इसमें कुल 11 सदस्य होते हैं। अब इनमें से 7 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
इस बदलाव का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना बताया गया है। लेकिन कुछ मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिमों के हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं।
2. वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण कौन करेगा?
पहले वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी सर्वेक्षण आयुक्त की होती थी। लेकिन अब यह काम कलेक्टर या उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी को सौंपा जाएगा।
इस बदलाव का मकसद वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से रिकॉर्ड बनाना और किसी भी अनियमितता को रोकना है।
3. वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड बनेगा
अब सभी वक्फ संपत्तियों का डेटा एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस में रखा जाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।*
पहले कई मामलों में वक्फ संपत्तियों का सही रिकॉर्ड नहीं होता था, जिससे अवैध कब्जे और विवाद होते थे। अब यह डिजिटल रिकॉर्डिंग सिस्टम इन समस्याओं को दूर करने में मदद करेगा।
अब इस विधेयक में यह साफ कर दिया गया है कि सिर्फ वही व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है, जिसका उस पर कानूनी स्वामित्व हो। इससे निजी संपत्तियों की सुरक्षा होगी और गलत दावे बंद होंगे।
विधेयक का समर्थन और विरोध
1. विधेयक के समर्थन में तर्क
इस विधेयक का समर्थन करने वालों का कहना है कि:
– वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा।
– पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा।
– गलत तरीके से संपत्तियों को वक्फ घोषित करने की समस्या खत्म होगी।
2. विधेयक के विरोध में तर्क
इस विधेयक का विरोध विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों द्वारा किया जा रहा है। उनके अनुसार:
– गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने से मुस्लिम समुदाय का नियंत्रण कम होगा।
– इससे धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर सरकार का हस्तक्षेप बढ़ सकता है।
– यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन कर सकता है।
विधेयक का संसद में क्या हुआ और आगे क्या होगा?
लोकसभा में इस विधेयक पर मतदान हुआ, जिसमें 288 सांसदों ने समर्थन किया और 232 ने विरोध किया।
अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया है। यदि राज्यसभा में भी इसे मंजूरी मिल जाती है और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती है, तो यह विधेयक कानून बन जाएगा।
अब देखना होगा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाएगा या मुस्लिम समुदाय की चिंताएं सही साबित होंगी।
