
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस ने युवाओं को साधने के लिए एक बड़ी यात्रा की शुरुआत की है। यह यात्रा ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ के नाम से चलाई जा रही है, जो आज यानी 16 मार्च से शुरू हो रही है। इस यात्रा का मकसद बिहार में बेरोजगारी और युवाओं के पलायन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाना है। कांग्रेस की युवा इकाई **यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई इस यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। यात्रा की शुरुआत चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से हो रही है, जहां से कभी महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी।
कौन करेगा यात्रा का नेतृत्व?
इस यात्रा की रूपरेखा कांग्रेस के युवा नेता और एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने तैयार की थी। पहले यह माना जा रहा था कि वह ही इस यात्रा का नेतृत्व करेंगे, लेकिन पार्टी में इसको लेकर कुछ विवाद हो गया, जिसके कारण उनके नेतृत्व की औपचारिक घोषणा नहीं हो पाई। हालांकि, वह इस यात्रा का मुख्य चेहरा बने रहेंगे और इसमें सक्रिय रूप से भाग लेंगे। कांग्रेस ने इस यात्रा को बिहार के युवाओं का आंदोलन बताया है और कहा है कि इसका नेतृत्व युवा ही करेंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी होंगे शामिल
इस यात्रा में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी भाग ले रहे हैं। इसमें बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारु, एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिबा शामिल होंगे। कांग्रेस ने इस यात्रा को बिहार के युवाओं की आवाज बताया है और जनता से इसमें शामिल होने की अपील की है।
यात्रा का उद्देश्य और राजनीतिक मायने
कांग्रेस का कहना है कि बिहार में बीजेपी-जेडीयू सरकार की गलत नीतियों के कारण बेरोजगारी अपने चरम पर पहुंच गई है और युवा मजबूर होकर दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने मिलकर यह यात्रा शुरू की है। यात्रा पटना में समाप्त होगी और इसके जरिए कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। चूंकि बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इस यात्रा को कांग्रेस की चुनावी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
यात्रा के माध्यम से कांग्रेस जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि वह युवाओं के मुद्दे को लेकर गंभीर है और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए संघर्ष कर रही है। कन्हैया कुमार इस पूरी यात्रा के मुख्य चेहरे हैं और उनके नेतृत्व में कांग्रेस बिहार के युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।