बिहार में बढ़ते अपराध और पुलिस पर हमले: राजनीति गरमाई, अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है?

बिहार में हाल के दिनों में अपराध और पुलिस पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। कई जिलों में पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले हुए, जिनमें दो एएसआई की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। कई जगहों पर पुलिस टीम पर पथराव किया गया, उनकी वर्दियां फाड़ दी गईं और महिला पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। इन घटनाओं के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है और यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या पुलिस का असर खत्म हो रहा है या फिर अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।

बिहार में बढ़ते अपराध और पुलिस पर हमले

बिहार में हाल के दिनों में अपराध और पुलिस पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। कई जिलों में पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले हुए, जिनमें दो एएसआई की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। कई जगहों पर पुलिस टीम पर पथराव किया गया, उनकी वर्दियां फाड़ दी गईं और महिला पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। इन घटनाओं के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है और यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या पुलिस का असर खत्म हो रहा है या फिर अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।

पुलिस और जनता के बीच बढ़ती खाई

बिहार में पुलिस पर हो रहे हमलों के पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण शराबबंदी से जुड़ा हुआ है। सरकार ने शराबबंदी लागू तो कर दी, लेकिन अवैध शराब का धंधा बंद नहीं हुआ। इस धंधे से जुड़े अपराधियों को जब पुलिस पकड़ने जाती है, तो वे हमला करने से पीछे नहीं हटते। इसके अलावा, पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार ने जनता का विश्वास कमजोर कर दिया है। आम धारणा यह बन गई है कि बिना रिश्वत के पुलिस कोई काम नहीं करती। शरीफ आदमी थाना जाने से कतराता है और यही गुस्सा कई बार हिंसक रूप ले लेता है। पुलिस पर हमले का एक कारण यह भी है कि जब किसी इलाके में पुलिस की पिटाई का वीडियो वायरल हो जाता है, तो अपराधियों के हौसले और बढ़ जाते हैं।

हाल की घटनाएं और पुलिस की चुनौतियां

हाल ही में मुंगेर में एक एएसआई को शराब माफियाओं ने लोहे की रॉड से हमला कर बेहोश कर दिया और फिर 30-40 मीटर तक घसीटकर उनकी हत्या कर दी। मुजफ्फरपुर में होली के दिन पुलिस ने अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ छापेमारी की, जिससे नाराज भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा और थाने पर भी पथराव हुआ। अररिया जिले में एक शादी समारोह में गए एएसआई को अपराधियों ने धक्का दे दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। गया में दो गुटों की महिलाओं की लड़ाई सुलझाने पहुंचे दारोगा पर ही महिलाओं ने हमला कर दिया और थाने में ही पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की।

इन घटनाओं के अलावा भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, सोनपुर, सारण, मधुबनी, जहानाबाद, नवादा, औरंगाबाद और पटना जैसे कई जिलों में पुलिस पर हमले हो चुके हैं। कई जगहों पर पुलिस को अपनी जान बचाने के लिए हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी। इन घटनाओं से साफ है कि बिहार में पुलिस और अपराधियों के बीच सीधी टक्कर बढ़ती जा रही है और पुलिस का खौफ खत्म हो रहा है।

सरकार, विपक्ष और कानून व्यवस्था का भविष्य

बिहार विधानसभा में इन घटनाओं को लेकर जोरदार बहस हुई। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में अब पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में 60 हजार हत्याएं, 25 हजार से अधिक दुष्कर्म और सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों की हत्याएं हुई हैं। दूसरी ओर, सत्ता पक्ष ने विपक्ष को करारा जवाब दिया। बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ‘बचौल’ ने कहा कि बिहार में उत्तर प्रदेश जैसा ‘योगी मॉडल’ लागू होगा और जरूरत पड़ने पर एनकाउंटर भी किए जाएंगे। उप-मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी कहा कि अपराधियों को उन्हीं की भाषा में समझाया जाएगा और पुलिस को खुली छूट दी जाएगी।सरकार पुलिस को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन लगातार हो रहे हमलों ने पुलिस की कार्यप्रणाली और उनकी छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस बल की संख्या और संसाधन बढ़ाने की जरूरत है ताकि वे अपराधियों का सामना कर सकें। साथ ही पुलिस को जनता का भरोसा जीतने के लिए भ्रष्टाचार खत्म करना होगा और अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी। बिहार में बढ़ते अपराध और पुलिस पर हो रहे हमलों से यह साफ हो रहा है कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ सकती है।

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