प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी अनेक क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले भारतीयों को स्वीकारने एवं सराहने के लिए जाने जाते हैं। कई बार भारतीय खिलाड़ियों को टूर्नामेंट जीतने पर फोन कर के भी बधाई देते हैं लेकिन कुछ अपवाद भी हैं जहां प्रधानमंत्री मोदी तथा पुरी सरकार ने चुप्पी साधे रखा है।रवीश कुमार,गीतांजलि श्री के बाद अब बानू मुश्ताक को पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कर जीतने पर बधाई नहीं दी।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीतने तथा देश का मान ऊंचा करने वाले इन नामों को प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई तक नहीं दिया। उनकी इस उपलब्धि पर जब देश के अंदर तथा बाहर बधाईयां दी जा रही थी तथा सराहना की जा रही थी तब भी प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट भी नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी की यह चुप्पी इन व्यक्तियों से वैचारिक असहमति तथा प्रधानमन्त्री की आलोचना करने की वजह से है।

बानू मुश्ताक- अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (2025)
हाल ही में बानू मुश्ताक को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। इस पुरस्कार की देश भर में सराहना की जा रही है। लेकिन प्रधानमन्त्री मोदी ने इसपर एक बधाई ट्वीट भी नहीं किया।मालूम हो कि बानू ने अपने कन्नड़ लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीपा’ (हार्ट लैंप) के लिए 2025 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अपने नाम किया है.
मूल रूप से कन्नड़ में लिखी गई इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद दीपा भास्ति ने किया है. इस बारे में जहां विपक्षी नेताओं की ओर से उन्हें बधाई संदेश देने का सिलसिला जारी रहा, वहीं पीएम मोदी द्वारा इस उपलब्धि पर चुप्पी नज़र आई.
कन्नड़ साहित्य और भारतीय लेखन के लिए पुरस्कार की ऐतिहासिक प्रकृति को देखते हुए यह चूक विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है.मालूम हो कि यह संग्रह जेंडर के बारे में बात करते हुए पितृसत्ता पर हमला करता है.
रवीश कुमार – रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (2019)
ठीक ऐसे ही देश के चर्चित पत्रकार रवीश कुमार को एशिया का प्रतिष्ठित पुरस्कार रेमन मैगसेसे पुरस्कार मिला तो प्रधानमन्त्री मोदी की चुप्पी बनी रही। रवीश कुमार को भी कोई बधाई संदेश नहीं दिया था।रवीश कुमार को यह पुरस्कार उनके पत्रकारिता के काम के लिए दिया गया, जिसमें उन्होंने उन लोगों की आवाज को मुख्यधारा में लाने का काम किया जिनकी अक्सर अनदेखी की जाती है। उदाहरण के तौर पर एनडीटीवी में प्राइम टाइम के दौरान रवीश कुमार की नौकरी सीरीज तथा विश्विद्यालय सीरीज
गीतांजलि श्री – अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (2022
गीतांजलि साल 2022 में गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूंब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका हैं. इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री मोदी समेत केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी विशेष रूप से चुप रहे, जबकि यह किताब पुरस्कार जीतने वाली दक्षिण एशियाई भाषा की पहली कृति थी. इस किताब में एक पाकिस्तानी पुरुष और एक हिंदुस्तानी महिला के मज़बूत संबंध को दर्शाया गया है।
प्रधानमन्त्री मोदी की यह चुप्पी उनकी राजनीति की आलोचना करने तथा भाजपा आरएसएस के बहुसंख्यकवाद की राजनीति के खिलाफ़ बहुलतावाद की राजनीति की वकालत करने से है।
हिंदी को ले कर अभियान चलाने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने हिन्दी की कृति रेत समाधि को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कर मिलने पर कोई बधाई नहीं दिया। यह राजनीतिक असहमतियों के खिलाफ एक व्यापक विरोध और कृति को छोटा दिखाने की साजिश है।