महिला डॉक्टर के नकाब खींचने के विरोध में सड़क पर उतरा महिला संगठन ऐपवा

महिला डॉक्टर को नियुक्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा सरेआम उसका नक़ाब खींचे जाने की घटना के विरोध में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने आज पटना में बुद्ध स्मृति पार्क के पास ज़ोरदार प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह आचरण अत्यंत निंदनीय और अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि यह घटना महिलाओं की मर्यादा, उनके व्यक्तिगत अधिकारों और संवैधानिक स्वतंत्रताओं पर खुला हमला है. बिहार के मुख्यमंत्री को इस कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा होना चाहिए. हमारा संविधान प्रत्येक महिला को यह अधिकार देता है कि वह अपनी पसंद, आस्था और धार्मिक पहचान के अनुसार वस्त्र धारण करे. किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करे. उन्होंने इस पूरे मामले पर सर्वोच्च न्यायालय से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की.

भाकपा (माले) के पूर्व विधायक महबूब आलम ने कहा कि इस घटना के बाद भाजपा नेताओं द्वारा साम्प्रदायिक नफ़रत फैलाने वाले बयान सामने आ रहे हैं, जो स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमले की यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है.

इस प्रदर्शन को विधान परिषद सदस्य शशि यादव, दिव्या गौतम, वंदना प्रभा, ऐपवा की नगर सचिव अनुराधा, राखी मेहता, गुलशन जहाँ, विभा गुप्ता सहित कई अन्य महिला नेताओं और कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया.वक्ताओं ने एक स्वर में इस घटना की निंदा की और महिलाओं की गरिमा व अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज़ करने का आह्वान किया.कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और आयुष डॉक्टर नुसरत से अपील की कि वे बिहार न छोड़ें और अपनी नौकरी जॉइन करें. वक्ताओं ने कहा कि बिहार की महिलाएँ आपके साथ हैं. आप जो भी निर्णय लेंगी, उसका सम्मान किया जाएगा और आपके सम्मान व अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा.

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