न्यायलय ने इन कृत्यों के आरोपी दो व्यक्तियों के विरूद्ध निचली अदालत द्वारा लगाये गए आरोपों में संसोधन का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक चौंकाने वाला फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि किसी नाबालिग लड़की के निजी अंगों को पकड़ना और उसकी नाड़ा तोड़ने की कोशिश करना दुष्कर्म की कोशिश नहीं मानी जा सकती। अदालत ने यह कहते हुए आरोपी को राहत दी कि दुष्कर्म की कोशिश और यौन उत्पीड़न के प्रयास में अंतर होता है। यह फैसला समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करता है और इस पर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी महत्वपूर्ण रहेगा।
क्या महिलाएं वास्तव में सुरक्षित हैं?
भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा से बहस होती रही है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। हर दिन महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़, दुष्कर्म, घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों की घटनाएं सामने आती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
उत्तर प्रदेश: अपराधों का गढ़
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए जाते हैं। यहां दुष्कर्म, घरेलू हिंसा और एसिड अटैक जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। ग्रामीण इलाकों में मामलों को दर्ज करवाने में भी काफी मुश्किलें आती हैं। पुलिस प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, अपराध दर में कोई खास कमी नहीं आई है।
राजस्थान: दुष्कर्म के मामलों में शीर्ष पर
राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में देशभर में पहले स्थान पर है। जयपुर, जोधपुर, कोटा और अलवर जैसे बड़े शहरों में अपराध दर अधिक देखी गई है। सरकार ने महिला सुरक्षा हेल्पलाइन और फास्ट-ट्रैक कोर्ट की शुरुआत की है, लेकिन अपराधों पर पूरी तरह रोक लगाना अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
मध्य प्रदेश: नाबालिग लड़कियों के लिए असुरक्षित
मध्य प्रदेश में नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराधों की संख्या बेहद चिंताजनक है। यहां तस्करी, बाल विवाह और यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार ने सख्त कानून लागू किए हैं, लेकिन अपराधियों के बढ़ते हौसले को देखते हुए यह प्रयास अभी भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।
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समाधान की दिशा में प्रयास
महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनों के साथ-साथ समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है। महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है ताकि वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें। आत्मरक्षा की ट्रेनिंग और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना भी जरूरी है। केवल सरकार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को मिलकर इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि महिलाएं एक सुरक्षित वातावरण में जी सकें।