भाकपा माले के बिहार राज्य सचिव ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर कहा कि उनके कुछ मतदान एजेंटों के साथ फॉर्म 17सी की प्रतियां मांगने पर दुर्व्यवहार किया गया। फॉर्म 17सी एक चुनाव दस्तावेज है जिसमें मतदान केंद्र पर दर्ज किए गए मतों की कुल संख्या जैसी महत्वपूर्ण जानकारी होती है।
फॉर्म 17सी और फॉर्म 17ए क्यों जरूरी है
1961 के नियमों के अनुसार, चुनाव आयोग को दो फॉर्म बनाकर रखने होते हैं, इन्हें वोटिंग खत्म होते ही भरना होता है, जिसमें मतदाताओं की संख्या और डाले गए वोटों का डेटा होता है – फॉर्म 17ए और 17सी. अगर आप वोट डालने गए हों तो रजिस्टर में वोट देने के पहले आपका ब्योरा भी लगातार दर्ज होता रहता है. नियम 49एस(2) के तहत, पीठासीन अधिकारी को मतदान समाप्त होने पर उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को फॉर्म 17सी में भरे फॉर्म की कॉपी देनी होती है.फॉर्म 17सी में निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के बारे में बूथवार जानकारी होती है; उनका लिंग स्वरूप; मतदान केंद्रों, ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की संख्या; और सबसे महत्वपूर्ण बात, वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या।
फॉर्म 17सी में डेटा का उपयोग उम्मीदवारों द्वारा ईवीएम गणना के साथ मिलान करके मतगणना के दिन परिणामों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है. इसके बाद, किसी भी विसंगति के मामले में संबंधित मामलों में उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका भी दायर की जा सकती है.
भाकपा माले बिहार में तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आरा,काराकाट, नालंदा.वही अगियांव विधानसभा की सीट पर उपचुनाव भी लड़ रही है. झारखंड के कोडरमा सीट पर भी माले के उम्मीदवार लड़ रहे हैं.
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 17 C फॉर्म उपलब्ध नहीं कराए जाने से कई प्रकार की शंकाएं उत्पन्न हो रही हैं. आयोग को इन शंकाओं को दूर करना चाहिए. पोलिंग एजेंट को फॉर्म 17C नहीं देना चुनाव नियमों का उल्लंघन है.निष्पक्ष और स्वतंत्र मतदान का तकाजा है कि सभी बूथों का फॉर्म 17C सार्वजनिक किया जाय. जहां एकतरफ़ पार्टी राज्य सचिव ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराइ है.उन्होंने कहा कि तीनों सीटों और आरा के अगिआंव विधानसभा क्षेत्र में, जहां उपचुनाव हुआ था, फॉर्म 17सी देने से इनकार करना पीठासीन अधिकारियों के लिए पुस्तिका के नियम 495 का उल्लंघन है, जिसके तहत उन्हें फॉर्म 17सी की सत्यापित प्रति मांगने वाले प्रत्येक मतदान एजेंट को देनी होती है।वहीं भाकपा माले माले के उम्मीदवारों ने भी संबंधित आर वो को पत्र लिख कर 17C फॉर्म उपलब्ध कराने की मांग की है.
पिछले चुनाव में क्या हुआ था
पिछले चुनावों में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वोटों की पूर्ण संख्या जारी की गई. लिहाजा तब इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठा. लेकिन इस बार जो देरी हुई, उसने सवाल उठा दिए.
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