लोक जीवन का यह उत्सव अनुपस्थित है। लोक दृश्य जब तब अवशेष के रूप में दिख जाते हैं। अब जीवन का मिजाज बदल गया है स्त्री अंग से स्त्री और स्वभाव से पुरुष हो गई है इस प्रकार पुरुष पुरुष में विवाह होने लगा है।पुरुष भी मर्द बनने की चाहत रखता है।समाज का ताना-बाना बिगड़ गया है।यह भी संभव है ...