भारत सरकार ने सोशल मीडिया पर अपनी निगरानी तेज कर दी है। गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने पिछले एक साल में 1.1 लाख से ज्यादा पोस्ट हटाने के लिए नोटिस भेजे। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जुड़े पोस्ट शामिल हैं।

क्यों हटाए गए ये पोस्ट?
सरकार के अनुसार, यह कार्रवाई ‘अवैध जानकारी को हटाने’ के तहत की गई है। इसमें डीपफेक, बाल शोषण से जुड़ा कंटेंट, वित्तीय धोखाधड़ी और झूठी व भ्रामक जानकारी शामिल है।
किसे भेजे गए नोटिस?
सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप को ये नोटिस भेजे। इनमें सबसे ज्यादा नोटिस एक्स को मिले, जिसमें 66 बार कंटेंट हटाने की मांग की गई।
प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री के पोस्ट
सरकार ने एक वीडियो हटाने की कोशिश की, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के “पांच साल में देश को हिसाब देने”वाले बयान पर तंज कसा गया था। बाद में यूजर ने खुद यह वीडियो हटा लिया।
इसी तरह, जुलाई 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जुड़े कुछ पोस्ट हटाने के आदेश भी दिए गए थे।
अमित शाह और एडिटेड वीडियो
दिसंबर 2024 में सरकार ने **गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ एडिटेड वीडियो हटाने के लिए एक्स को नोटिस भेजा। इन 54 पोस्ट में एक वीडियो क्लिप थी, जिसमें अमित शाह को आरक्षण विरोधी दिखाने की कोशिश की गई थी। सरकार ने इसे गुमराह करने वाला बताया और इसे हटाने की मांग की।
जय शाह और वायरल तस्वीर
जनवरी 2024 में जय शाह और सनराइजर्स हैदराबाद की मालिक कविता मारन की एक एडिटेड तस्वीर वायरल हुई। सरकार ने इसे “प्रोपेगेंडा” बताते हुए हटाने के लिए एक्स को नोटिस भेजा।
हालांकि, एक फैक्ट-चेक पोस्ट ने तस्वीर को गलत साबित किया, इसलिए एक्स ने उसे नहीं हटाया। दूसरी पोस्ट यूजर ने खुद डिलीट कर दी।
सहयोग पोर्टल: सहयोग या सेंसरशिप?
सरकार ने ‘सहयोग’ (SAHYOG) पोर्टल लॉन्च किया है, जो सोशल मीडिया कंपनियों को संदिग्ध पोस्ट हटाने की जानकारी देता है।
– सरकार का कहना है:यह गैरकानूनी पोस्ट पर कार्रवाई के लिए है।
– एक्स का आरोप:यह “सेंसरशिप पोर्टल” है, जिससे सरकार सोशल मीडिया को नियंत्रित कर रही है।
सोशल मीडिया पर निगरानी और कानूनी बहस
पिछले दो सालों से एक्स ने सरकार के अनुरोधों को सार्वजनिक करना बंद कर दिया था। लेकिन अब ‘सहयोग’ पोर्टल पर चल रही कानूनी लड़ाई के कारण यह जानकारी सामने आई है।
सरकार का कहना है कि यह कदम फर्जी खबरों और साइबर अपराध रोकने के लिए जरूरी है। वहीं, आलोचक इसे “अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक” बता रहे हैं। यह बहस अभी भी जारी है।
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