बिहार दिवस 2025: मुख्यमंत्री की स्थिति पर उठते सवाल और शासन की अनिश्चितता – दीपंकर भट्टाचार्य

बिहार दिवस और मौजूदा हालात पर सवाल

बिहार दिवस की बधाई और नया संकल

भाकपा (माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने बिहार दिवस के मौके पर प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने न्यायपूर्ण और समानता पर आधारित एक नए बिहार के निर्माण का संकल्प पूरा करने का आह्वान किया है। उनका कहना है कि बिहार की जनता को बेहतर शासन और न्याय दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखना होगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वीडियो और बढ़ते सवाल

बिहार दिवस 2025 से ठीक पहले एक वीडियो सामने आया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का असामान्य व्यवहार नजर आया। यह वीडियो एक सार्वजनिक कार्यक्रम का था, जिसमें वे राष्ट्रगान के दौरान भी अनभिज्ञ दिखे। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और इसे लेकर कई सवाल उठने लगे।



पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री के सार्वजनिक व्यवहार और उनके बयानों में भी गड़बड़ नजर आ रही है। दीपंकर भट्टाचार्य का कहना है कि इससे साफ हो रहा है कि अब वे अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में बिहार की जनता को उनके स्वास्थ्य और वास्तविक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मिलनी चाहिए। मौजूदा हालात मुख्यमंत्री और जनता, दोनों के लिए ठीक नहीं हैं।

ओडिशा में भाजपा ने उठाए थे सवाल, लेकिन बिहार में चुप्पी क्यों?

ओडिशा में भाजपा ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कथित स्वास्थ्य समस्याओं को बड़ा मुद्दा बनाया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी रैली में इसे लेकर एक राजनीतिक साजिश की ओर इशारा किया था। लेकिन बिहार में भाजपा पूरी तरह चुप है।
जब विपक्ष मुख्यमंत्री की स्थिति पर सवाल उठाता है, तो भाजपा और जदयू के नेता इसे अनावश्यक राजनीति बता देते हैं। यह सवाल उठता है कि जो पार्टी ओडिशा में मुख्यमंत्री की सेहत को मुद्दा बना सकती है, वह बिहार में इस पर चर्चा से क्यों बच रही है?

बिहार में शासन व्यवस्था चरमराई

नीतीश कुमार पहले खुद को सुशासन का प्रतीक बताते थे। वे कानून व्यवस्था और बेहतर प्रशासन का दावा करते थे। लेकिन आज की हकीकत यह है कि बिहार में शासन व्यवस्था कमजोर हो चुकी है।

उन्होंने अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर नियंत्रण का वादा किया था, लेकिन ये तीनों ही समस्याएं अब बेलगाम हो चुकी हैं। एनडीए के पास सरकार चलाने के लिए बहुमत है, लेकिन यह साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री खुद नियंत्रण में नहीं हैं। उनके सहयोगी इस सच्चाई को जनता से छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

सरकार या नौकरशाही का नियंत्रण?

आज सरकार के नाम पर एक अपारदर्शी नौकरशाही व्यवस्था काम कर रही है। इससे बिहार लगातार अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। बिहार दिवस के मौके पर प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि राज्य की बागडोर वास्तव में किसके हाथ में है और सरकार की स्थिति क्या है?
जनता को अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक होना होगा और सरकार से पारदर्शिता की मांग करनी होगी। बिहार को बेहतर शासन देने के लिए सच्चाई सामने आना जरूरी है।

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