UPSC ने ज्वाइंट सेक्रेटरी, उप निदेशक तथा निदेशक के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के तहत केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों में भर्ती का विज्ञापन निकाला है।
यूपीएससी के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इसका विरोध होने लगा है। लेटरल एंट्री को जब से लागू किया गया है तब से ही इसका विरोध हो रहा है। इसके माध्यम से बीजेपी पर आरएसएस तथा अन्य दक्षिणपंथी झुकाव वाले कॉर्पोरेट परस्त लोगों की नियुक्तियां करने का आरोप लगते रहा है। उच्च नियुक्तियों में आरक्षण को खत्म करने का भी आरोप लगते रहा है।
इस तरह की भर्ती 2019 में पहली बार की गई थी और अब इसे बड़े पैमाने पर दोहराया जा रहा है. लेटरल एंट्री को सरकारी नौकरशाही में बाहरी विशेषज्ञों को लाने की योजना के तौर पर समझा जा सकता है. मौजूदा समय की सबसे बड़ी लेटरल एंट्री के तहत सरकार का लक्ष्य संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती करना है. हालांकि विपक्ष इन भर्तियों का विरोध कर रहा है.
2019 में पहली बार लेटरल एंट्री के सहारे नियुक्तियां हुई थीं। उस वक्त भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था। लेटरल एंट्री में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाता है। लेटरल एंट्री से पहले इन पदों पर सिविल सेवा के लोग जाते थें। इस वजह से इन पदों पर आरक्षण के नियमों का पालन होता था और आरक्षित वर्ग के अधिकारी भी इन पदों तक पहुंच पाते थें।
राजद सुप्रीमों लालू यादव ने इसका विरोध करते हुए X पर लिखा कि
“बाबा साहेब के संविधान एवं आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए नरेंद्र मोदी और उसके सहयोगी दलों की सलाह से सिविल सेवा कर्मियों की जगह अब संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है।” कारपोरेट में काम कर रहे बीजेपी की निजी सेना यानि खाकी पेंट वालों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का यह “नागपुरिया मॉडल” है।
बसपा चीफ सुश्री मायावती ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने बीजेपी पर संविधान के उलंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि
केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा।
क्या है लेटरल एंट्री?
यूपीएससी लैटरल एंट्री स्कीम के जरिए हर आईएएस लेवल के अधिकारियों की भर्तियां करता है. यह योजना नीति आयोग की ओर से शुरू की गई है. इस स्कीम के तहत चयनित अभ्यर्थी को सैलरी और सुविधाएं आईएएस अधिकारिक लेवल की ही मिलती हैं. लेकिन इसके लिए उनको कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती है। सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर इनकी नियुक्ति होती है।
इस योजना के तहत प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवा अप्लाई कर सकते हैं, लेकिन उनके पास यूजी की डिग्री अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. साथ ही संबंधित पद और सेक्टर में काम करने का कम से कम 15 वर्ष का अनुभव भी होना चाहिए. हालांकि कुछ पदों के लिए अनुभव 10 वर्ष का भी मांगा जाता है.
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