Newzink

झारखंड में वामपंथ का बढ़ता असर: लाल परचम की वापसी की तैयारी, सिंदरी पर टिकी निगाहें

सिंदरी विधानसभा में हमेशा से रोचक मुकाबला होता रहा है। सिंदरी अविभाजित बिहार के दौर में पूरे झारखंड क्षेत्र की ही सबसे चर्चित सीट रहा करती थी। कभी इस सीट पर ए.के.रॉय जैसे दिग्गज वामपंथी नेता ने तीन बार प्रतिनिधित्व किया था। झारखंड अलग राज्य आंदोलन के शीर्ष नेता रहे बिनोद बिहारी महतो के सम्मान में आनंद महतो ने अपनी जीती हुई सीट 1985 में छोड़ दी थी। साल 2,000 के बाद से बीजेपी का इस सीट पर कब्जा होता रहा है और वामपंथी दल मासस (अब भाकपा माले) से  उम्मीदवार आनंद महतो दूसरे नंबर पर हर चुनाव में रहे हैं।

सिंदरी विधानसभा में वामपंथ को सन् 2000 के बाद जीत हासिल नहीं हुई है हालांकि मार्क्सवादी समन्वय समिति के आनन्द महतो दूसरे स्थान पर सभी चुनाव में रहते हैं। किसी भी पार्टी का मुकाबला वामपंथ से ही रहा है। इस बार भी भाकपा माले से चंद्रदेव महतो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं।

आंकड़ों को देखें तो

2009 में जेवीएम के फूलचंद मंडल ने जीत हासिल की थी फूलचंद मंडल को 40,048 वोट आए थें वहीं आनंद महतो को 36,288 वोट आए थें। भाजपा को 18,793 और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 12,131वोट।

2014 में फूलचंद मंडल ने यहां से भाजपा के टिकट पर दोबारा जीत हासिल की, वहीं आनन्द महतो लगभग 52 हजार वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहें।

2019 में भाजपा इस सीट को पुनः जीतने में कामयाब रही। 2019 के विधानसभा चुनाव में आनन्द महतो को 72,714 वोट हासिल हुए थें और भाजपा के इंद्रजीत महतो को 80,967 आए थें इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है।

इस बार इंडिया गठबंधन में यह सीट भाकपा माले के हिस्से आई है और चंद्रदेव महतो उर्फ बबलू दा भाकपा माले से ताल ठोक रहे है। झामुमो , काँग्रेस व राजद से समर्थन प्राप्त होने के कारण पिछले चुनावों की तुलना में इस बार चंद्रदेव महतो उर्फ बबलू दा की दावेदारी मजबूत दिख रही है।  

भाकपा माले के प्रत्याशी चंद्रदेव महतो इस चुनाव में तमाम स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। पेयजल संकट, बिजली, लालफीताशाही और खतियान आधारित स्थानीय नीति को उन्होंने चुनावी मुद्दा बनाया है। चंद्रदेव महतो 25 साल में सिंदरी क्षेत्र में बंद हुए इंडस्ट्री को लेकर भी बीजेपी पर हमलावर हैं। साथ ही उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नए सरकारी कॉलेज के नहीं खुलने को भी अपना आधार बनाया है। सिंदरी खाद कारखाना (HURL) में स्थानीय लोगों को रोजगार देने का सवाल प्रमुख है जिसपर बबलू दा मुखर रूप से बात कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ भाजपा घुसपैठी जैसी मुद्दों तथा पीएम नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।

इस बार भाकपा माले से बेस्ट विधायक का सम्मान प्राप्त विनोद सिंह, भाजपा से नागेन्द्र महतो व जेएलकेएम से सलीम अंसारी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।  

बगोदर विधानसभा भी भाकपा माले के दबदबे की सीट रही है। दिग्गज वामपंथी नेता महेंद्र सिंह यहां का नेतृत्व करते रहे हैं। उसके बाद यहां से विनोद सिंह तीन बार विधायक बने हैं।

2019 में विनोद सिंह को 98,201 वोट हासिल हुए थें और बिजेपी के नागेंद्र महतो को 83656 वोट आए थें।  

2014 में 74898 वोट भाकपा माले को वहीं बीजेपी को 70559 वोट आए थें।

साल 2009 में भाकपा माले को 54436 जेवीएम को 47,718 और भाजपा प्रत्याशी को मात्र 6784 वोट प्राप्त हुए थे।

इस विधानसभा चुनाव में नीरस से इंडिया गठबंधन के भाकपा माले प्रत्याशी अरूप चटर्जी , भाजपा से अपर्णा सेन गुप्ता आमने सामने है। वही भाजपा से पूर्व विधायक अशोक मण्डल जो इस बार जे एल के एम से मैदान मे उतरे हुए है।

निरसा में 2019 में अरूप चटर्जी 63,624 अपर्णा सेन गुप्ता को 89,082 वोट आए थें। साल 2014 तथा साल 2009 में अरूप चटर्जी ने मासस से जीत हासिल की थी।मासस का भाकपा माले में विलय के बाद अरूप चटर्जी इस बार भाकपा माले से उम्मीदवार हैं और इंडिया गठबंधन के हिस्सा होने के बाद उनकी स्थिती मजबूत मानी जा रही है।

राजधनवार विधानसभा सीट से भाकपा माले ने राजकुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है वहीं भाजपा से  पर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी उम्मीदवार हैं। राजकुमार यादव साल 2014 में बाबू लाल मरांडी को शिकस्त दे चुके हैं।

साल 2019 में भाकपा माले यहां तीसरे स्थान पर रही थी जेवीएम से बाबू लाल मरांडी को 52,352 वोट हासिल हुए थें। वहीं बीजेपी को 34,802 वोट तो भाकपा माले के राजकुमार यादव को 32,245 वोट हासिल हुए थें। हालांकि जेवीएम के भाजपा में विलय होने के बाद इस बार मरांडी भाजपा के उम्मीदवार हैं। झामुमो तथा भाकपा माले में यहां गठबंधन नहीं हो सका है और जेएमएम से निजामुदिन उम्मीदवार हैं।

इंडिया गठबंधन सरकार के द्वारा मइयाँ सम्मान योजना , 200 यूनिट फ्री बिजली व अब तक बकाये बिजली बिल माफी जैसे प्रमुख काम भाजपा के राह में रोड़ा प्रतीत हो रहा है। बताते चले कि पहले चरण में 43 सीटों पर मतदान हो चुके है बाकी दूसरे चरण में 38 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है। जिसको लेकर चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है।

 

Exit mobile version