हैदराबाद विश्वविद्यालय के चार सौ एकड़ जमीन की नीलामी की ख़बर के बाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समूह इस फैसले के विरोध में आंदोलनरत हैं। तेलंगाना राज्य औद्योगिक अवसंरचना निगम लिमिटेड (टीएसआईआईसी) ने 15 मार्च तक भूमि की नीलामी की घोषणा की है। जिसके बाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।

हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा इस जमीन की महत्ता
तेलंगाना राज्य के आइ.टी. हब कहे जाने वाले गच्चीबोवली जिले में स्थित हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धियो के साथ ही अपनी प्राकृतिक सुषमा के लिए देशभर में विशिष्ट स्थान रखता है।
विश्वविद्यालय परिसर अनेक प्रकार के वनस्पतियों और जीवों का वास स्थान है। जंगलों के बीच में खड़ा विश्वविद्यालय हैदराबाद के लिए कार्बन सिंक का काम करता है। शहर भर का कार्बन क्रेडिट जोड़ा जाये तो संभवतः अकेले विश्वविद्यालय उसका 50% उपलब्ध कराता है। हम जानते हैं कि पर्यावरण और परिस्थितिकी के नाश से सिर्फ़ पेड़-पौधे और जीव-जंन्तु ही प्रभावित नहीं होते, मनुष्यों का एक बड़ा वर्ग जो संसाधन संपन्न नहीं है वह परिस्थितिकीय संकट के दंश झेलने को अभिशप्त होता है। उनके स्वच्छ हवा, पानी, भोजन और जीवन के अधिकार को रौंदकार ही शोषकों के तथाकथित विकास की नींव पड़ती है। विश्वविद्यालय वैसे बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है जो लाखों-हजारों की मोटी फीस देने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में सामाजिक न्याय की बात करने वाली कांग्रेस सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के चार सौ एकड़ जमीन को निजी हाथों द्वारा बेच देना उनकी वास्तविक मंशा को रेखांकित करती है।

जिन गरीब-गुरबों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों-पिछड़ों, आदिवासियों तथा अन्य दमित-शोषित और वंचित समुदायों की बात सरकारें अपने भाषणों में करती हैं लेकीन उनके बातों की जमीनी हक़ीक़त विश्वविद्यालय पर उनकी कुदृष्टि से स्पष्ट हो रहा है।कांग्रेस सरकार वाले राज्य में परिसर के जमीन की नीलामी की ख़बर सामाजिक न्याय के लिए लड़ने और पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए एक झटका है।

क्या कहते हैं छात्र संघ के लोग?
विश्वविद्यालय के निर्वाचित छात्र-संघ (अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया आदि) द्वारा आंदोलन संचालित किया जा रहा है। संगठनों से इतर आम छात्र-छात्राओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति आंदोलन को मजबूती प्रदान कर रही है। विश्वविद्यालय के अन्य छात्र संगठन जैसे ‘आइसा’ भी आंदोलन में शामिल है।

छात्र-संघ अध्यक्ष उमेश अम्बेडकर तथा महासचिव निहाद सुलेमान ने अपने सम्बोधन में पर्यावरण, परिस्थितिकी पर इस नीलामी के प्रभाव के साथ छात्र समुदाय के शिक्षा और रोजगार पर इसके नकारात्मक प्रभाव को चिन्हित किया। छात्र-संघ सह-सचिव श्रावनी ने अपने सम्बोधन में कांग्रेस सरकार से पूछा कि क्या इस प्रकार कांग्रेस सामाजिक न्याय की अवधारणा को स्थापित करेगी? समाज के जिन तबकों को सामाजिक न्याय चाहिए उनके ही पढ़ने-लिखने की जगहों को बेचकर किस तरह के न्याय की व्यवस्था निर्मित की जाएगी?
शिक्षक संघ भी नीलामी के विरोध में।
विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रोफेसर वंग्या बुक्क्या ने आंदोलन को सम्बोधित किया और शिक्षक संघ का समर्थन आंदोलन को दिया है।
अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर जे. विजय ने आंदोलन को सम्बोधित करते हुए आंदोलन को बड़े स्तर पर प्रसारित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी तथा भूत पूर्व छात्र समूहों से भी बात की जाये। ये हमारे विश्वविद्यालय की बात है, पर्यावरण और परिस्थितिकी की बात है, हमें इसे विस्तार देना चाहिए और इस नीलामी के खिलाफ़ एकजुट होकर लड़ना चाहिए।
प्रियंका प्रियदर्शिनी शोधार्थी, हैदराबाद विश्वविद्यालय