बिहार में भूमिहीनों एव सामंतों के बीच संघर्ष का इतिहास पुराना है। कई बार यह संघर्ष खूनी भी हुआ और नरसंहार भी हुए हैं। बाथे बथानी, लक्ष्मणपुर जैसे नरसंहार के पृष्ठभूमि में भी जमीन का ही संघर्ष रहा है। 5 जून 2024 को जमीन की विवाद को ले कर सामंतों ने इसी गांव के संजय मांझी की तलवार से हाथ काट दी
पीड़ित परिवार से मिलती CPIML जांच दल
न्यूजइंक डेस्क
बिहार:गया जिले के टेकारी में एक गांव है चिरैली , मुख्य गांव से अलग एक टोला है ,जहां मांझी जाति और पासी जाति के लोग बसे हुए हैं । मांझी जाति के लोगों की बहुलता है। अधिकतर लोग भूमिहीन हैं और मजदूरी करते हैं। गांव में एक दो घर हैं जो ठीक से बने हैं। अधिकतर लोग झोपड़ी डाल के रहते हैं। सरकार द्वारा मिले पर्चे की जमीन पर लोग रहते हैं।
5 जून 2024 को जमीन की विवाद को ले कर सामंतों ने इसी गांव के संजय मांझी की तलवार से हाथ काट दी। गैरमजरूआ जमीन पर सामंती कब्जे का विरोध करने पर ब्राह्मण जाति के लोगों ने मुसहर समुदाय के संजय मांझी पर तलवार से हमला कर दिया।
बिहार में भूमिहीनों एव सामंतों के बीच संघर्ष का इतिहास पुराना है। कई बार यह संघर्ष खूनी भी हुआ और नरसंहार भी हुए हैं। बाथे बथानी, लक्ष्मणपुर जैसे नरसंहार के पृष्ठभूमि में भी जमीन का ही संघर्ष रहा है। आज भी भूमि सुधार को ले कर सड़क से ले कर सदन तक वामपंथी पार्टियां आवाज उठाते रही हैं। भाकपा माले इस मांग को ज्यादा जोर दे कर उठाते रही है।
बिहार में इस तरह की घटनाएं यहां मौजूद सामंती अवशेषों के तरफ इशारा करते हैं। बिहार में भूमी सुधार की मांग लंबे समय से उठता रहा है। गैर मजरूआ जमीन पर सरकारी पर्चे के आधार पर बसे भूमिहीन लोगों को सुरक्षा देने की भी मांग होते रही है
क्या है पुरा मामला?
लेकिन साल 1970-75 में नया सर्वे में पूरे ज़मीन को रैयती करार देते हुए खतियान बना दिया गया, और पूरा जमीन चिरैली गांव के इंद्रदेव मिश्र के परिवार के नाम दर्ज कर दिया गया।मांझी परिवार ने इसके खिलाफ़ मुकदमा भी लड़ा, लेकिन टेकारी अंचल ने रैयतीकरन रद्द नहीं किया। बल्कि रैयती करन को जायज करार देते हुए 55 मांझी परिवार को बासगीत पर्चा इस तर्क के साथ दिया कि रैयती जमीन होने के बावजूद लम्बे समय से बसे होने के कारण कानूनी प्रावधान के तहत मांझी परिवार का उसपर अधिकार बनता है और खाली जमीन इंद्रदेव मिश्र के हिस्से में बनी रही।
सामंतों ने खाली जमीन को अपने कब्जे में लेने के बाद मांझी समुदाय जमीन के जिस हिस्से में बसे हैं उनपे भी कब्जा करने लगें।
टेकारी अंचल द्वारा एक ही जमीन को गैर मजरूआ और रैयत घोषित करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। यह प्रशासनिक मिलीभगत से धांधली का भी मामला लग रहा है।
अस्पताल में संजय मांझी से मिलती भाकपा माले की टीम
भाकपा माले की जांच टीम ने गांव का दौरा किया। जांच टीम में घोसी से विधायक रामबली सिंह यादव , अगियाँव विधयक शिवप्रकाश रंजन, गया भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार मौजूद थें। जांच दल ने रैयती करण रद्द कर खाली जमीन को भी गरीबों में वितरण करने,संजय मांझी के पत्नी को 10 लाख मुआवजा तथा सरकारी नौकरी देनें,संजय मांझी और गरीबों पर किया गया फर्जी मुकदमा समाप्त करने एव ,चिरैली मांझी टोला के गरीबों को सुरक्षा देनेंं की मांग की है।