कोर्ट मैनेजर पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप, महिला ने पीएम मोदी से न्याय की गुहार लगाई

बंडेल, कोलकाता की निवासी एक महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में अपने पति, जो खगड़िया, बिहार के व्यवहार न्यायालय में कोर्ट मैनेजर हैं, पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला ने आरोप लगाया है कि उनके पति ने अपने न्यायिक पद का दुरुपयोग कर उन्हें और उनके परिवार को मानसिक और शारीरिक रूप से उत्पीड़ित किया है।

उत्पीड़न और धमकियों का सिलसिला

महिला की शादी 25 फरवरी 2020 को हुई थी। शादी के बाद, एक वर्ष तक उन्हें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। किसी तरह वह अपने माता-पिता के घर बंडेल, कोलकाता आ गईं। इसके बाद उनके माता-पिता ने उनका घर बसाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन उनके पति ने अपने न्यायिक पद की धमकी देकर इन प्रयासों को असफल कर दिया और जान से मारने की धमकी दी।

कोर्ट की शरण में

महिला ने अपने बचाव के लिए 498a का केस दर्ज किया, लेकिन उनके पति ने न्यायिक पद का दुरुपयोग करते हुए झूठे मुकदमों का सिलसिला शुरू कर दिया। मात्र आठ महीने में ही सीआरपीसी 82 और 83 के तहत कुर्की और जप्ती की कार्रवाई करवा दी, जिसका उन्हें और उनके परिवार को कोई पूर्व सूचना नहीं मिली।न्यायालय में सुनवाई की दिक्कतेंमहिला का कहना है कि जब उन्होंने कोर्ट की प्रक्रियाओं का पालन किया तो खगड़िया न्यायालय के समस्त एडवोकेट बार काउंसिल ने उनके पति के प्रभाव में आकर उनके पक्ष रखने से बहिष्कार कर दिया। जनवरी 2024 से पटना उच्च न्यायालय में प्रयास कर रही महिला को अब तक कोई राहत नहीं मिल पाई है।

विकट परिस्थितियों से जूझता परिवार

महिला और उनका ननिहाल परिवार वर्तमान में आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न का सामना कर रहा है। वारिसलीगंज थाना, नवादा, बिहार की पुलिस द्वारा उनके ननिहाल के घर पर रोजाना कुर्की जप्ती के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।

प्रधानमंत्री से मदद की गुहार

महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप और न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह और उनका परिवार मानसिक और शारीरिक रूप से हताश और निराश हो चुके हैं। उन्हें डर है कि यह उत्पीड़न उन्हें आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है।यह मामला न केवल एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाता है, बल्कि न्यायिक पद के दुरुपयोग और महिलाओं के उत्पीड़न के गंभीर आरोपों को भी उजागर करता है। प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की उम्मीद की जा रही है, ताकि महिला और उसके परिवार को न्याय मिल सके।